औरंगाबाद का नाम बदलकर अब होगा सांभाजी नगर जाने इस नाम का इतिहास : Sambhaji Nagar History in Hindi
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औरंगाबाद का नाम बदलकर अब होगा सांभाजी नगर जाने इस नाम का इतिहास : Sambhaji Nagar History in Hindi
क्यों बदला जा रहा है औरंगाबाद का नाम जाने – Kyu Badla Jaa Rha hain Aurangabad ka Naam Jane
महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठापटक और कुर्सी संकट के बीच उद्धव ठाकरे सरकार ने बड़ा फैसला लिया था। कैबिनेट ने बुधवार यानी 29 जून को औरंगाबाद का नाम बदलकर ‘संभाजी नगर’ करने की मंजूरी दे दी थी। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब शिवसेना के ज्यादातर विधायक बागी गुट में शामिल हो गए थे। दरअसल, लंबे समय से औरंगाबाद शहर का नाम बदलने की मांग की जा रही थी।

सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की बैठक के दौरान कई मंत्रियों ने नाम बदलने पर आपत्ति भी जताई थी। महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर को मूल रूप से खिरकी कहा जाता था। शहर का निर्माण 1610 में हुआ था। इसके निर्माता का नाम मलिक अंबर था। दक्कन पर अपने शासन के दौरान, औरंगजेब ने खिरकी में अपना मुख्यालय बनाया और शहर का नाम बदलकर औरंगाबाद कर दिया गया। अब इसका नाम बदलकर संभाजी नगर किया जाएगा।
औरंगाबाद का इतिहास – Aurangabad ka Itihas
संभाजी नगर भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। इसे अब औरंगाबाद के नाम से जाना जाता है, और इसका एक समृद्ध और आकर्षक इतिहास है। औरंगाबाद का नाम बदलकर अब होगा सांभाजी नगर जाने इस नाम का इतिहास : Sambhaji Nagar History in Hindi
शहर की स्थापना 1610 में एक शक्तिशाली अफ्रीकी-भारतीय प्रशासक और सैन्य रणनीतिकार मलिक अंबर द्वारा की गई थी, जिन्होंने अहमदनगर के निज़ाम शाही वंश की सेवा की थी। उनके नेतृत्व में, औरंगाबाद वाणिज्य, कला और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। औरंगाबाद का नाम बदलकर अब होगा सांभाजी नगर जाने इस नाम का इतिहास : Sambhaji Nagar History in Hindi
1653 में, मुगल सम्राट औरंगजेब ने शहर पर विजय प्राप्त की और अपने नाम पर इसका नाम “औरंगाबाद” रख दिया। उनके शासनकाल के दौरान, औरंगाबाद मुगल साम्राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक और सैन्य केंद्र बन गया। औरंगाबाद का नाम बदलकर अब होगा सांभाजी नगर जाने इस नाम का इतिहास : Sambhaji Nagar History in Hindi
17वीं शताब्दी के अंत में, औरंगाबाद हैदराबाद के निज़ाम के अधीन दक्कन क्षेत्र की राजधानी बन गया। कई महत्वपूर्ण इमारतों और स्मारकों के निर्माण के साथ, शहर ने अपने शासन के तहत विकास और विकास की अवधि का अनुभव किया। औरंगाबाद का नाम बदलकर अब होगा सांभाजी नगर जाने इस नाम का इतिहास : Sambhaji Nagar History in Hindi
ब्रिटिश औपनिवेशिक युग के दौरान, औरंगाबाद व्यापार और वाणिज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना रहा। यह शहर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक केंद्र भी था, जिसमें जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी जैसे कई उल्लेखनीय व्यक्ति स्वतंत्रता के समर्थन में रैली करने के लिए शहर का दौरा कर रहे थे। औरंगाबाद का नाम बदलकर अब होगा सांभाजी नगर जाने इस नाम का इतिहास : Sambhaji Nagar History in Hindi
आज, औरंगाबाद एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला एक हलचल भरा शहर है। शहर के आगंतुक अजंता और एलोरा की गुफाओं, बीबी का मकबरा (औरंगजेब द्वारा अपनी पत्नी की याद में बनवाया गया एक मकबरा) और औरंगाबाद किले सहित कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों को देख सकते हैं। शहर के इतिहास और विरासत का जश्न मनाने वाले कई संग्रहालयों, दीर्घाओं और त्योहारों के साथ शहर में एक जीवंत कला और संस्कृति का दृश्य भी है। औरंगाबाद का नाम बदलकर अब होगा सांभाजी नगर जाने इस नाम का इतिहास : Sambhaji Nagar History in Hindi
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औरंगाबाद शहर का संस्थापक कौन था?
औरंगाबाद शहर का संस्थापक मलिक अमबर नामक शक्तिशाली अफ्रीकी-भारतीय प्रशासक और सैन्य रणनीतिज्ञ था। वह अहमदनगर के निजामशाही राजवंश की सेवा में था और 1610 में औरंगाबाद की स्थापना की। उनके नेतृत्व में, औरंगाबाद वाणिज्य, कला और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया।
औरंगाबाद का राजा कौन है?
औरंगाबाद का कोई राजा नहीं है। भारत स्वतंत्रता के बाद, भारत का शासन लोकतंत्रिक ढंग से चलता है जिसमें शहरों के प्रशासन के लिए नगर पालिका चुनाव आयोजित किए जाते हैं। औरंगाबाद शहर में भी नगर पालिका चुनाव होते हैं और नगर पालिका नगर विकास और सुविधाओं के लिए जिम्मेदार होती है।
औरंगाबाद को गेट्स का शहर क्यों कहा जाता है?
औरंगाबाद को “गेट्स का शहर” कहा जाता है क्योंकि इस शहर में कई ऐसे बड़े और इतिहास से सम्बंधित दरवाजे हैं जो इसके संपूर्ण समूचे में समावेश किए गए हैं। ये दरवाजे इस शहर की विशिष्टता बनाते हैं और यह शहर उन दरवाजों के नामों से भी पुकारा जाता है। इन दरवाजों में से सबसे प्रसिद्ध हैं “बादली दरवाजा” जो मुगल शासक औरंगजेब ने बनवाया था। इसके अलावा, शहर में पांच और दरवाजे हैं – पांच दरवाजा, औरंगाबाद दरवाजा, डेल्टा दरवाजा, खिजडावाड़ा दरवाजा और पश्चिमी दरवाजा। इन दरवाजों से प्रवेश करने वालों को वहां की स्थानीय बाजारों, मंदिरों, इतिहासी स्थलों और दरगाहों तक पहुंचने में मदद मिलती है।
औरंगाबाद में घूमने जैसा क्या है?
औरंगाबाद महाराष्ट्र के उत्तर मध्य भाग में स्थित है और यह ऐतिहासिक शहर है, जो मुगल शासक औरंगजेब द्वारा बनवाया गया था। इस शहर में कई ऐतिहासिक जगहें हैं, जो आपको देखने में दिलचस्पी पैदा कर सकती हैं।
अगर आप ऐतिहासिक स्थलों से प्यार करते हैं, तो आप शहर के कई ऐतिहासिक स्थलों का दौरा कर सकते हैं जैसे कि बादली दरवाजा, गुलिस्तान-ए-गुन्बद, बिबी का मकबरा, किले की मस्जिद, पंचाक्की, अलीबाग मस्जिद, खिजडावाड़ा मस्जिद आदि। इन स्थलों में शामिल अन्य विशिष्ट विरासत स्थल भी शामिल हैं।
शहर में आप दर्शनीय स्थलों के अलावा खरीदारी भी कर सकते हैं। शहर की बाजारों में स्थानीय शिल्प उत्पादों, स्थानीय खाद्य सामग्री और परंपरागत सामग्री का विस्तृत विकल्प होता है। औरंगाबाद में आप अदरकी चाय, बीफ समोसे, बकरी का कबाब, तांबडा रस्सा, उसले पांढडी आदि विशिष्ट स्थानीय व्यंजनों का भी स्वाद ले सकते हैं।
औरंगाबाद में कौन सी गुफाएं हैं?
औरंगाबाद शहर में कुछ महत्वपूर्ण गुफाएं हैं जो ऐतिहासिक और पर्यटन दोनों के लिए महत्वपूर्ण स्थान हैं।
1. बिबी का मकबरा: यह गुफा मकबरे के रूप में जानी जाती है और मुगल शासक औरंगजेब की बेगम हुमायूं का स्मारक है। इस गुफा की विशेषता यह है कि इसे सफेद संगमरमर से बनाया गया है और इसके आसपास सुंदर बाग हैं।
2. गौताला गुफा: इस गुफा को भरतीय मौर्य सम्राट अशोक के बादशाह जहाँगीर ने बनवाया था। यह गुफा अंदर अंधेरा होता है लेकिन इसे आगे बढ़ाने के लिए लाइट इंस्टाल की जाती है।
3. खिजड़वाड़ा गुफा: यह गुफा मुगल शासक औरंगजेब की पत्नी रबीया दुरानी के समाधि स्थल के रूप में जाना जाता है। यह गुफा संगमरमर का बना हुआ है और इसके आसपास बाग हैं।
4. पंचाक्की: यह एक पुरानी घाटी है जिसे सात अलग-अलग तहसीलों से पानी सप्लाई करने के लिए उपयोग किया जाता था।
औरंगाबाद में कौन सी नदी बहती है?
औरंगाबाद शहर में दो नदियां हैं।
1. काला नदी: यह नदी औरंगाबाद शहर के उत्तरी भाग से होती हुई जाती है और यह एक मुख्य नदी है जो महाराष्ट्र राज्य के दक्षिणी भाग में बहती है।
2. पूर्णा नदी: यह नदी औरंगाबाद शहर के पश्चिमी भाग से होती हुई जाती है। इस नदी का मुख्य स्रोत बाबुलगांव जिले में होता है और यह नदी महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद और जलना जिलों में बहती है।
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